रामगढ़। क्या लोगों को प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी? अब तक के अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है यह सब कुछ संबंधित अधिकारियों की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। जानकार बताते हैं कि दिखावे के लिए फैक्ट्री में प्रदूषण नियंत्रक संयंत्र (ESP) लगाया गया है। लेकिन फैक्ट्री संचालक द्वारा प्रदूषण नियंत्रक संयंत्र संचालन में होने वाले खर्च की वजह से उसे संचालित नहीं करते। जब लोग विरोध करते हैं तो दिन में प्रदूषण नियंत्रक संयंत्र चला दिया जाता है और रात में बंद कर दिया जाता है। धीरे-धीरे दिन में भी प्रदूषण नियंत्रक संयंत्र चलाना बंद कर दिया जाता है। प्रदूषण नियंत्रक संयंत्र चल रहा है कि नहीं इसके जांच के लिए कोई ठोस उपाय सरकार द्वारा नहीं किया गया है। इस संबंध में उड़ीसा सरकार उदाहरण है। नवीन पटनायक सरकार द्वारा उड़ीसा में फैक्ट्री द्वारा प्रदूषण नियंत्रक संयंत्र चलाया जाता है कि नहीं इसकी जांच के लिए सेटेलाइट से निगरानी करवायी जाती थी। साथ ही पटनायक सरकार ने यह नियम बनाया था कि प्रदूषण नियंत्रक संयंत्र के लिए अलग से बिजली कनेक्शन दिया जाएगा तथा विद्युत मीटर बैठाया जाएगा। बिजली मीटर बैठने के बाद कड़ी निगरानी में ओड़िसा सरकार द्वारा 24 घंटे प्रदूषण नियंत्रक संयंत्र को चलाया गया तथा 24 घंटे में जितनी बिजली खपत हुई उसे आधार माना गया। 24 घंटे की बिजली खपत को महीने के प्रत्येक दिन जांच किया जाता था।
कम बिजली खपत होने पर फैक्ट्री पर कार्रवाई होती थी कि उसने प्रदूषण नियंत्रक संयंत्र को नहीं चलाया है अथवा कम चलाया है। कुछ यही व्यवस्था अगर झारखंड में हो तभी यह फैक्ट्री संचालक प्रदूषण फैलाने से बाज आएंगे।
रामगढ़ के मरार में बीएफसीएल के प्रदूषण से त्रस्त यहां के कुछ गणमान्य लोगों ने इसकी शिकायत केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, दिल्ली में की थी।ये शिकायत मिलने के बाद केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड दिल्ली ने (शिकायत नम्बर TW21-19160) इस मामले की शिकायत को झारखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को फॉरवर्ड करते हुए मामले पर आवश्यक कार्रवाई करने की निर्देश दिया है। उल्लेखनीय है कि मरार स्थित बीएफसीएल और स्थानीय लोगों के बीच प्रदूषण को लेकर जो रार ठनी हुई है इसको लेकर स्थानीय सांसद यहाँ आंदोलनरत कॉलोनी वासियों से मिलने पहुंचे थे। मामले को लेकर सांसद की अगुवाई में 8 मार्च को रामगढ़ उपायुक्त के साथ सर्किट हाउस में बैठक रखी गई है। आगे देखना दिलचस्प होगा कि सांसद की अगुवाई में उपायुक्त के बैठक के बाद क्या निष्कर्ष निकलता है। देखना दिलचस्प होगा कि लोगों को प्रदूषण से मुक्ति मिलती है या प्रदूषण के कारण लोगों को जीवन से मुक्ति मिलती है!
फैक्ट्री के आसपास क्या उस शहर में ही फैक्ट्री संचालक नहीं रखते अपना आशियाना
जानकार बताते हैं कि रामगढ़ जिले में फैक्ट्री संचालित करने वाले फैक्ट्री संचालक फैक्ट्री के आसपास की क्या कही जाए जिले में ही अपना आशियाना नहीं रखते हैं क्योंकि उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि इस जहरीले प्रदूषण से उनका और उनके परिवार का जीवन संकट में पड़ जाएगा। ऐसा प्रतीत होता है जैसे दूसरों की जान की चिंता उन्हें है ही नहीं।